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भारत के इस सबसे खूंखार और जांबाज जासूस पर बनी है सलमान खान की Tiger, पाकिस्तान सेना में मेजर बनकर किये कई खुलासे 

 

बॉलीवुड एक्टर सलमान खान की फिल्म टाइगर-3 बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा रही है। भारतीय जासूस की कहानी पर आधारित यह फिल्म फिर से शानदार प्रदर्शन कर रही है। कई लोगों का मानना ​​है कि फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है और इस फिल्म में सलमान खान ने भारत के सबसे 'खतरनाक' जासूस रविंद्र कौशिक का किरदार निभाया है। लेकिन, फिल्म के डायरेक्टर कबीर खान ने एक था टाइगर के वक्त ही बता दिया था कि यह फिल्म किसी की जिंदगी पर आधारित है। हालांकि, टाइगर-3 की रिलीज के बाद एक बार फिर से रविंद्र कौशिक की चर्चा हो रही है और उनकी बहादुरी के किस्से बताए जा रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि रविंद्र कौशिक कौन थे और इस आर्टिकल में उनकी जिंदगी और मिशन से जुड़ी कुछ अहम कहानियां बताई जा रही हैं, ताकि आप भी उस खास शख्सियत के बारे में जान सकें। तो आइए जानते हैं रविंद्र कौशिक से जुड़ी हर बात...

<a href=https://youtube.com/embed/IoxHGv570Do?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/IoxHGv570Do/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="Story Of Ravindra Kaushik, दुनिया के सबसे खतरनाक जासूस रविन्द्र कौशिक उर्फ़ ब्लैक टाइगर की पूरी कहानी" width="695">
खतना भी करवाया था
भारत के इतिहास में ब्लैक टाइगर के नाम से मशहूर रविंद्र कौशिक ने पाकिस्तान में खूब काम किया था। रविंद्र कौशिक राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के रहने वाले थे और ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे रॉ में शामिल हो गए और छोटी उम्र में ही जासूस के तौर पर पाकिस्तान भेज दिए गए. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत छोड़ने के बाद वे नबी अहमद शेख के नाम से पाकिस्तान में रहने लगे और वहीं अपनी आगे की पढ़ाई की।


कहा जाता है कि खुद को मुसलमान साबित करने के लिए उन्होंने खतना भी करवाया था। भारत के रॉ एजेंट रहते हुए उन्होंने वहीं पढ़ाई की और वहीं की सेना में भर्ती हो गए. इसके बाद वे सेना में मेजर के पद तक पहुंचे और शादी करके वहीं बस गए. वे 30 साल तक भारत से बाहर रहे और यहीं अपना जीवन बिताया. लेकिन, एक बार उनकी पहचान तब उजागर हुई जब एक अन्य एजेंट पकड़ा गया. फिर उन्हें पकड़कर खूब परेशान किया गया। इसके बाद 1985 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई और फिर उनकी सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया. इसके बाद 2001 में जेल में दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई।


30 साल तक पहचान उजागर नहीं हुई पाकिस्तान भेजे जाने से पहले उन्हें इस्लाम की शिक्षा दी गई और लंबी ट्रेनिंग दी गई. कहा जाता है कि जब वह पाकिस्तानी जेल में था, तो उससे रिहाई के बदले भारतीय खुफिया जानकारी मांगी गई थी, लेकिन उसने जानकारी देने के बजाय खुद को जेल में ही रखना बेहतर समझा। हालांकि, उसके भारत वापस न आ पाने को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं और सरकार पर कई आरोप भी लगे हैं। उसे भारत का सबसे बेहतरीन जासूस भी माना जाता है, जो अपनी पहचान छिपाकर करीब 30 साल तक पाकिस्तान में रहा।