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Shyam Ramsay Death Anniversary: इस तरह Shyam Ramsay ने सिखा था डर का हुनर, फिल्मों में भूत-प्रेत का तड़का लागाकर हुए थे मशहूर 

 

सिनेमा उनकी रग-रग में था. यही वजह थी कि उन्होंने दुनिया को सिनेमा का ऐसा रूप दिखाया कि हर किसी की रूह कांप उठी. अकेले 'तहखाने' या 'डाकघर' को 'जमीन के दो गज नीचे' देखने से पहले लोग कम से कम चार बार सोचते थे। हम बात कर रहे हैं श्याम रामसे की, जिन्होंने अमिताभ बच्चन की फिल्मों के जादू के बीच हॉरर सिनेमा का ऐसा क्रेज पैदा किया कि दुनिया उनकी दीवानी हो गई। श्याम रामसे 18 सितंबर 2019 को इस दुनिया को छोड़कर चले गए। आइए आपको उनकी जिंदगी की उस कहानी से रूबरू कराते हैं, जिसने उन्हें हॉरर फिल्में बनाने का विचार दिया।


17 मई 1952 को मुंबई में जन्मे श्याम रामसे उन सात रामसे ब्रदर्स में से एक थे जिन्होंने 1970 और 1980 के दशक में भारतीय सिनेमा को एक नया रूप दिया। रामसे ब्रदर्स के इस ग्रुप में श्याम रामसे को प्रमुख माना जाता था। उन्होंने कई हॉरर फिल्में बनाईं, जिनमें दरवाजा, पुराना मंदिर, वीराना, दो गज जमीन के नीचे, सामरी, तहखाना, डाक बंगला, पुरानी हवेली, शैतान इलाका और बंद दरवाजा आदि फिल्में शामिल हैं।


जानकारों के मुताबिक, श्याम रामसे की जिंदगी में एक ऐसी घटना घटी, जिसने उन्हें हॉरर फिल्में बनाना सिखाया। इस घटना का जिक्र फतेहचंद रामसे की पोती अलीशा प्रीति कृपलानी ने अपनी किताब 'घोस्ट इन अवर बैकयार्ड' में किया है। किताब में 1983 की एक घटना का जिक्र किया गया है। उस दौरान श्याम रामसे एक फिल्म की शूटिंग के लिए महाबलेश्वर गए थे। शूटिंग के बाद पूरी टीम मुंबई चली गई, लेकिन श्याम रामसे वहीं रुक गए। कुछ दिनों बाद जब वह कार से मुंबई लौट रहे थे तो एक महिला ने उनसे लिफ्ट मांगी।


बताया जा रहा है कि महिला कार की अगली सीट पर बैठी थी। श्याम रामसे ने उनसे बात करने की कोशिश की, लेकिन वह चुपचाप बैठी रही। अचानक उसकी नज़र महिला के पैरों पर पड़ी, जो पीछे की ओर मुड़े हुए थे। ये देखकर श्याम रामसे की हालत खराब हो गई। उसने तेजी से ब्रेक लगाए, जिसके बाद महिला कार से उतरकर अंधेरे में गायब हो गई श्याम रामसे ने कार इतनी तेज चलाई कि वह मुंबई पहुंचकर ही रुकी। कहा जाता है कि इसी घटना से उन्हें हॉरर फिल्में बनाने का आइडिया आया।