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Lootere Review : मनोरंजंक के साथ उत्साहवर्धक भी है सोमालियाई समुद्री लुटेरों की ये कहानी, एक पल के लिए भी पलके नही हिलने देगा रोमांच 

 

आपने हॉलीवुड की कई फिल्मों में समुद्री लुटेरों की कहानियां देखी होंगी, लेकिन अब ओटीटी पर 'स्कैम' और 'स्कूप' जैसी बेहतरीन वेब सीरीज ला चुके फिल्ममेकर हंसल मेहता इसी विषय पर नई वेब सीरीज 'लुटेरे' लेकर आए हैं। सोमालियाई समुद्री डाकुओं पर आधारित इस सीरीज का निर्देशन उनके बेटे जय मेहता ने किया है, जिसके दो एपिसोड स्ट्रीम हो चुके हैं. वहीं, बाकी एपिसोड साप्ताहिक आधार पर हर गुरुवार को एक-एक करके जारी किए जाएंगे।


'लुटेरे' वेब सीरीज की कहानी
सीरीज की शुरुआत रोमांचक है. पहले एपिसोड में जिस तरह से जय हमें अपने किरदारों की दुनिया में ले जाता है, अपने तेज़-तर्रार (पेप्पी) संगीत, रंगीन रंग पैलेट और लंबे हवाई शॉट्स के साथ, वह ध्यान आकर्षित करता है। कहानी शुरू होती है भारतीय विक्रांत गांधी (विवेक गोम्बर) की दुर्दशा से, जिसने सोमालिया को अपना घर बना लिया है। विक्रांत के ससुर सोमालिया के नाजायज राजा थे यानी काले कारोबार वाले एक बड़े अमीर आदमी थे, लेकिन उनके निधन के बाद अपने डूबते कारोबार को बचाने की जिम्मेदारी विक्रांत के कंधों पर आ गई। बिजनेस में विक्रांत की हालत तंग है।


उनका एकमात्र सहारा पोर्ट प्रेसिडेंट का पद है, लेकिन आगामी दोबारा चुनाव में यह पद भी उनसे छिनने वाला है। इसी बीच उसका एक जहाज सोमालिया पहुंचने वाला है, जिसमें काफी कीमती (अवैध) सामान है. सोमालिया के अधिकारियों को इसकी जानकारी हो गई। अब विक्रांत के पास एक ही विकल्प है कि यह जहाज किसी तरह बंदरगाह तक न पहुंचे, अन्यथा उसकी प्रतिष्ठा तो जाएगी ही, सजा भी अलग मिलेगी. ऐसे में उसका एक दोस्त जहाज को समुद्री डाकुओं को सौंप देता है। अब जहाज के कैप्टन एके सिंह (रजत कपूर), उनकी टीम और समुद्री डाकुओं के बीच यह मुठभेड़ क्या लेकर आती है? क्या यह योजना सफल होती है या कोई और अलग दृष्टिकोण अपनाता है? ये जानने के लिए आपको सीरीज देखनी होगी।


'लुटेरे' वेब सीरीज की समीक्षा:

जैसा कि पहले ही उल्लेख किया गया है, श्रृंखला की शुरुआत आकर्षक है। भारतीय सिनेमा की बात करें तो नए तरह के विषय और स्टाइलिश ट्रीटमेंट के कारण दर्शक इस दुनिया से जुड़ जाते हैं। समुद्र की लहरों पर अठखेलियां करते जहाजों के दृश्य इसे बड़ी स्क्रीन पर देखने लायक बनाते हैं।

अभिनय की बात करें तो रजत कपूर, विवेक गोम्बर, अमृता सभी का अभिनय सहज है। हालाँकि, दूसरे एपिसोड में घटनाओं की गति थोड़ी धीमी हो जाती है, जिससे अगले एपिसोड के लिए रोमांच और उत्सुकता कम हो जाती है। सीरीज की सबसे बड़ी खामी यह है कि इसके एपिसोड साप्ताहिक आधार पर जारी किए जाते हैं, जिससे दर्शकों का मजा किरकिरा हो जाता है।